Significance of Radha Kund - राधा कुंड का महत्व
मथुरा नामक पवित्र स्थान आध्यात्मिक दृष्टि से वैकुण्ठ से श्रेष्ठ है, क्योंकि श्रीभगवान् वहाँ प्रकट हुए थे। मथुरा पुरी से श्रेष्ठ वृन्दावन का दिव्य वन है, क्योंकि वहाँ भगवान् श्रीकृष्ण ने रासलीला रचाई थी। वृन्दावन के वन से भी श्रेष्ठ गोवर्धन पर्वत है, क्योंकि इसे भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य हाथ से उठाया था और यह उनकी विविध प्रेममयी लीलाओं का स्थल रहा और इन सबों में परम श्रेष्ठ श्रीराधाकुंड है, क्योंकि यह गोकुल के स्वामी भगवान् श्रीकृष्ण के अमृतमय प्रेम से आप्लावित रहता है।
शास्त्रों का कथन है कि सभी प्रकार के सकाम कर्मियों में परमेश्वर हरि उसपर विशेष कृपा करते हैं, जो जीवन के उच्चतर मूल्यों सम्बन्धी ज्ञान में उन्नत होता है। ऐसे ज्ञान में उन्नत अनेक लोग (ज्ञानियों) में से जो अपने ज्ञान के बल पर व्यावहारिक रूप से मुक्त हो जाता है, वह भक्ति ग्रहण कर सकता है। ऐसा व्यक्ति अन्यों से श्रेष्ठ है। किन्तु जिसने भगवान् श्रीकृष्ण का शुद्ध प्रेम वास्तव में प्राप्त कर लिया है, वह उससे भी श्रेष्ठ है। गोपियाँ समस्त उच्चतर भक्तों से उत्कृष्ट हैं, क्योंकि वे दिव्य गोपाल- कृष्ण पर सदैव आश्रित रहती हैं। गोपियों में से श्रीमती राधारानी भगवान् श्रीकृष्ण को सर्वाधिक प्रिय हैं। उनका कुंड भगवान् श्रीकृष्ण को उसी प्रकार अत्यधिक प्रिय है, जिस तरह गोपियों में सर्वाधिक प्रिय यह राधारानी। तो ऐसा कौन होगा, जो राधाकुंड में नहीं रहना चाहेगा और उल्लासमय भक्तिभाव (अप्राकृत भाव) से पूरित आध्यात्मिक शरीर द्वारा श्री श्रीराधा-गोविन्द के दिव्य युगल जो नित्य ही अपनी अष्टकालीय लीला सम्पन्न करते हैं,
उनको प्रेममची सेवा करना नहीं चाहेगा। निःसंदेह, जो लोग राधाकुंड के तट पर भक्ति करते हैं, वे ब्रह्माण्ड में सर्वाधिक भाग्यशाली व्यक्ति हैं।
अनेक आमोद की वस्तुओं तथा ब्रजभूमि की समस्त प्रेयसी बालाओं में से श्रीमती राधारानी निश्चय ही कृष्णप्रेम की सर्वाधिक अमूल्य निधि हैं। हर प्रकार से उनका दिव्य कुंड मुनियों द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण को उतना ही प्रिय वर्णित किया गया है। नि:संदेह, राधाकुंड महान् भक्तों के लिए भी अत्यन्त दुर्लभ है, अतएव सामान्य भक्तों के लिए इसे प्राप्त कर पाना तो और भी कठिन है। यदि कोई इसके
पवित्र जल में केवल एक बार स्नान कर ले, तो उसमें भगवान् श्रीकृष्ण के लिए शुद्ध प्रेम पूर्णतः प्रकट हो जाता है।
Comments
Post a Comment