श्री राधा रानी
श्रीमती राधारानी के शरीर का रंग
श्रीमती राधारानी का शारीरिक रंग नए गोरचन की तरह है या पिघले हुए सोने या अपने स्थिर रूप में बिजली की तरह है। राधारानी का रूप उनके अपूर्व रूप माधुर्य के कारण अत्यंत तेजोमय और दीप्तिमान है।
उनकी सुंदरता की मिठास इतनी बढ़ जाती है कि वह हमेशा पहले से अधिक सुंदर दिखती है: हर दिन वह इतनी अधिक सुंदर दिखती है, जैसे कि वह पहले कभी इतनी सुंदर नहीं थी
उनके शरीर का रंग हजारों बार आग से पिघला हुये सोना जैसा है और जो बहुत तेजोमय है।
अपने प्रियतम श्रीकृष्ण से मिलन के समय श्री राधिका और भी तेजोमय, कोमल और दीप्तिमान हो जाती हैं। उनके स्वर्णिम तेज से वन के वृक्ष, लताएं, पक्षी और पत्तियाँ भी सुनहरी आभा से आच्छादित हो जाती हैं।
श्रीमति राधारानी का शारीरिक रंग इतना तीव्र सुनहरा रंग है कि जब वह कृष्ण के बगल में खड़ी होती हैं, तो उनका शारीरिक रंग भी सुनहरा हो जाता है।
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